Monday, May 07, 2012

लुका-छिपी



बचपन के दिन अच्छे थे
अक्सर लुका-छिपी का खेल खेलते,
चाहे कहीं भी छुप जाओ,
दोस्त हमेशा ढूँढ निकालते थे,

आज छिपने के ठिकाने बदल गए हैं -
कभी किताबें, कभी फाइल,
फेसबुक, ट्विटर,
कुछ नहीं, तो खुद के ही मुखौटे के पीछे!
और कोई दोस्त ढूंढ नहीं पाता...
सब, खुद भी तो छुपे हुए हैं!