Thursday, September 22, 2011

Romance meets comedy!

बस इक झलक तेरी, और हो गया चारो खाने चित,
नज़र के फिसलने को केले का छिलका नहीं लगता |
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लोग कहते हैं के निगाहें नशीली हैं तेरी,
मुझे इनमे मय तो नहीं दिखता, मैं दिखता हूँ |
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Remnants of thoughts, during Ramadan

अब तो रमज़ान में भी बस यही कारोबार होता है,
रोज़ा होता है अवाम का, सियासी इफ्तार होता है |
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इबादत में औ मोहब्बत में बस फर्क इतना है,
वो करते हैं सिर्फ रोज़े पर, इसे रोज़ करते हैं |
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सवाल रोज़ा रखने का नहीं, तोड़ने का है, या मौला
दो टुकड़ा खज़ूर हो मयस्सर, तो इफ्तार भी हो जाए |
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"तेरे अब्बू की तनख्वाह अभी आई नहीं है"
माँ ने कहा, हाथ में 5 का सिक्का बिठाते हुए
ईदी में तो "घोटाला" न कर अम्मी,
मैंने देखा है तुझे, डिब्बे में कई नोट छिपाते हुए |
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सलाम इंडिया

हर अज़ान पे आता है लबों पर जो नाम इंडिया,
तेरे सदके मैं, है तुझको सलाम इंडिया |

वो ये कहते हैं के दो मुल्क बसते हैं यहाँ,
है मुकाबला सा, भारत बनाम इंडिया |

मैं कहता हूँ दो नहीं, अट्ठाईस भी नहीं,
हैं 121 करोड़ नाम, या है बेनाम इंडिया |

जो बदला जहाँ है, तो बदले हैं हम भी,
पहले था गाँधी, अब है कलाम इंडिया |

कुछ बात है मगर जो के बदली नहीं है,
के अब भी अमन का है पैग़ाम इंडिया |

एक पीढ़ी ने अपना सबकुछ लुटाकर,
दिया आज़ादी का हमें ईनाम इंडिया |

उठो अब, लो बागडोर हाथों में अपने,
आओ बनायें वतन-ए-इतमाम इंडिया |



इतमाम = perfection


- written on Aug 15, 2011

Kgp के प्रति...

5 साल में इंजिनियर बन निकलेंगे,
गए थे तेरे दर ये कयास लगाए |
मगर जो हुआ वो बयाँ क्या करें हम,
न इंजिनियर हैं, न बाहर ही आए |

- written on Aug 18, 2011 (Institute Foundation day)

हार नहीं मानूंगा...

कभी सियासती हमले से परेशान हूँ,
कभी बुद्धिजीवियों की बातों से हैरान हूँ |
गिर के उठा हूँ कई बार, फिर उठ जाऊंगा,
संभलना मुझे आता है, मैं हिंदुस्तान हूँ |


- Written on Aug 20, 2011