Saturday, August 24, 2013

चंद नज़्म, जश्न-इ-आज़ादी पर

छयासठ बरस में हमनें, कहते हो क्या पाया है?
उम्मीद का वादा था, वादा तो निभाया है!

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चीन पर, पाकिस्तान पर कभी, उठी ऊँगली और हो गयी वतनपरस्ती?
छयासठ बरस बीत गए, आओ इस नादानी से भी आज़ाद हो जायें!

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