आस्था में सवाल-जवाब की गुंजाइश नहीं|
पर जब आस्था पर ही सवाल उठे, तब?
सवाल कीजिए...
उन बिचौलियों से,
जो आपके और ईश्वर के बीच होने का दावा करते हैं
सवाल कीजिए...
उस धर्म से, जिसका काम रास्ता दिखाना है
मगर वो आपको धर्मांध बनाता हो
सवाल कीजिए...
खुद से, जिसने भगवान को इतना दूर कर दिया,
कि मध्यस्थों की ज़रूरत पड़ी
सवाल कीजिए...
क्योंकि आस्था का मतलब जवाब ढुंढ़ना भी है
और सवाल किए बिना,
जवाब नहीं मिलता!
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